tag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post3254277560017072091..comments2023-09-13T19:31:45.803+05:30Comments on साहित्य हिन्दुस्तानी: ग़ज़ल ;रमेश नारायण सक्सेना 'गुलशन बरेलवी' [उ.प्र.]alka mishrahttp://www.blogger.com/profile/01380768461514952856noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-1286992590168828412009-04-27T00:06:00.000+05:302009-04-27T00:06:00.000+05:30ऐसा लगता है गये दिन फ़िर पलट कर आ गए क्या मेरी ग़ज़...ऐसा लगता है गये दिन फ़िर पलट कर आ गए क्या मेरी ग़ज़लों ने फ़िर उनके लबों को छू लिया <br /><br />रमेशजी <br />बहुत ही नये ढंग से कही है बात पुरानी <br />गाँव खुदा लव छूकर हो बैठे रूमानीगर्दूं-गाफिलhttps://www.blogger.com/profile/18099843303913951602noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-47676210192653751802009-04-26T23:14:00.000+05:302009-04-26T23:14:00.000+05:30बेहतरीन ग़ज़ल है ....बस दिल वाह वाह करने को कहता ह...बेहतरीन ग़ज़ल है ....बस दिल वाह वाह करने को कहता है <br /><br /><A HREF="http://meraapnajahaan.blogspot.com/" REL="nofollow">मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति </A>अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-28714643992808723412009-04-26T19:38:00.000+05:302009-04-26T19:38:00.000+05:30उम्दा ग़ज़ल पेश की है आपने शुक्रिया.उम्दा ग़ज़ल पेश की है आपने शुक्रिया.के सी https://www.blogger.com/profile/03260599983924146461noreply@blogger.com