tag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post4806977151277056936..comments2023-09-13T19:31:45.803+05:30Comments on साहित्य हिन्दुस्तानी: गजल - अरविन्द असरalka mishrahttp://www.blogger.com/profile/01380768461514952856noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-6423908890567272522010-02-19T09:29:52.183+05:302010-02-19T09:29:52.183+05:30शब्दों को बड़ी ही खूबसूरती से पाया है, सभी भाव बखू...शब्दों को बड़ी ही खूबसूरती से पाया है, सभी भाव बखूबी व्यक्त हो रहे है ।<br /><br />बोहोत ही खूबसूरत ग़ज़ल ।Gaurav Singhhttps://www.blogger.com/profile/15026211843082204897noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-21363180515945536302010-02-09T19:38:28.179+05:302010-02-09T19:38:28.179+05:30भले ऊपर ही ऊपर बेईमानी खूब फलती हो
मगर अंदर ही अंद...भले ऊपर ही ऊपर बेईमानी खूब फलती हो<br />मगर अंदर ही अंदर आदमी को मार जाती है ।<br />वाह ! वाह !वाह !Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-77053095762307205112010-02-01T16:14:14.511+05:302010-02-01T16:14:14.511+05:30Umda prastuti...wah..wah !!Umda prastuti...wah..wah !!www.dakbabu.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/04376997074873178876noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-26384153690177237032010-01-29T14:32:28.260+05:302010-01-29T14:32:28.260+05:30अरविन्द असर साहब की ग़ज़ल पसंद आयी..
भले ऊपर ही ऊ...अरविन्द असर साहब की ग़ज़ल पसंद आयी..<br /><br />भले ऊपर ही ऊपर बेईमानी खूब फलती हो<br />मगर अंदर ही अंदर आदमी को मार जाती हैSulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-84584820475123605722010-01-29T14:15:47.314+05:302010-01-29T14:15:47.314+05:30अदालत तक कहाँ ये बात मेरे यार जाती है
कि अक्सर तर्...अदालत तक कहाँ ये बात मेरे यार जाती है<br />कि अक्सर तर्क के आगे सचाई हार जाती है <br /><br />निभा पाया नहीं कोई इसे इक बार भी शायद<br />तिरंगे की कसम खाई मगर हर बार जाती है <br /><br />भला किस तरह पहुचेंगी वहां मजलूम की आहें<br />जहाँ तक सिर्फ पायल की 'असर' झंकार जाती है<br />वाह कमाल की गज़ल है हर शेर उम्दा और भाव समाज और राजनीति का आईना हैं <br />अरविन्द असर जी को बहुत बहुत बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-82468248105840002682010-01-28T12:25:32.218+05:302010-01-28T12:25:32.218+05:30Kamaaaal! Bahaut hi saTeeK.Kamaaaal! Bahaut hi saTeeK.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16452154750104271278noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-378607501356043762010-01-28T11:45:33.377+05:302010-01-28T11:45:33.377+05:30बहुत ही शानदार और सामयिक गजल । जबरदस्त शेर ,खासकर ...बहुत ही शानदार और सामयिक गजल । जबरदस्त शेर ,खासकर ये-<br /> वो अपराधीकरण पर बस यही इक बात कहते हैं <br /> अगर उनकी न मानें तो मेरी सरकार जाती हैअजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-55655377266126069232010-01-28T00:50:14.383+05:302010-01-28T00:50:14.383+05:30मोहतरमा अलका साहिबा, आदाब
पूरा 'असर' कर गई...मोहतरमा अलका साहिबा, आदाब<br />पूरा 'असर' कर गई अरविंद साहब की ग़ज़ल <br />अदालत तक कहाँ ये बात मेरे यार जाती है<br />कि अक्सर तर्क के आगे सचाई हार जाती है<br />बहुत खूबसूरत मतला है.<br /><br />हर शेर दाद का हक़दार है<br />खास तौर पर ये शेर कितना प्यारा हुआ है-<br />थपेड़े खाती रहती है मेरे विश्वास की नैया<br />कभी इस पार आती है, कभी उस पार जाती है<br />और मक़ता. वाह-<br />भला किस तरह पहुचेंगी वहां मजलूम की आहें<br />जहाँ तक सिर्फ पायल की 'असर' झंकार जाती है.<br />असर साहब को लेखन और आपको संकलित करने के लिये<br />बहुत बहुत बधाई<br />शाहिद मिर्ज़ा शाहिदशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-53941797306272683182010-01-27T23:50:13.724+05:302010-01-27T23:50:13.724+05:30सच को आईना दिखाती हुई बेहतरीन गज़ल।सच को आईना दिखाती हुई बेहतरीन गज़ल।dipayanhttps://www.blogger.com/profile/07385176375960362837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-52283425504938493802010-01-27T21:55:34.899+05:302010-01-27T21:55:34.899+05:30भले ऊपर ही ऊपर बेईमानी खूब फलती हो
मगर अंदर ही अंद...भले ऊपर ही ऊपर बेईमानी खूब फलती हो<br />मगर अंदर ही अंदर आदमी को मार जाती है <br />सत्य वचन जी, बहुत सुंदर लगी अप की यह गजल<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-85794441134113116292010-01-27T21:02:35.147+05:302010-01-27T21:02:35.147+05:30ग़ज़ल दिल को छू गई।
बेहद पसंद आई।ग़ज़ल दिल को छू गई। <br />बेहद पसंद आई।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4756193689393563669.post-3967805063501005352010-01-27T20:50:43.781+05:302010-01-27T20:50:43.781+05:30उम्दा गज़ल.धन्यवाद्उम्दा गज़ल.धन्यवाद्डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/01678807832082770534noreply@blogger.com