चाशनी को जबान में रखा
इत्र ही इत्रदान में रखा।
आपको जिसने ध्यान में रखा
ख़ुद को दारुल अमान में रखा।
धूप में रह के मैंने गज़लों को
फिक्र के सायबान में रखा।
तब्सरा जब किसी पे मैंने किया
आईना दरमियान में रखा।
मेरे माँ-बाप की दुआओं ने
मुझको अपनी अमान में रखा ।
जो कहा दिल ने वो किया मैंने
ये परिंदा उड़ान में रखा।
नाम तेरा न आए गज़लों में
ये सदा मैंने ध्यान में रखा।
तुझको मैंने छुपा के दुनिया से
अपने दिल के मकान में रखा।
तू सादा लौही मेरी थी
दुश्मन को अपने ही तर्जुमान में रखा।
जब भी मैंने गजल कही 'मंज़र'
दिल की बातों को ध्यान में रखा।
शनि राहु युति के परिणाम
3 दिन पहले