खरोंच को भी बतलाते हैं घाव चाचा का,
बढ़ा दिया है भतीजों ने भाव चाचा का .
दिखाई देता नहीं उम्र का असर उन पर,
है मेन्टेन अभी रखरखाव चाचा का.
चचा तराजू नहीं डोलची के बैंगन हैं,
न जाने होगा किधर, कब झुकाव चाचा का.
भतीजों को तो चचा जेब में धरे हैं मगर,
चची पे पड़ता नहीं है प्रभाव चाचा का.
ये राज़ कोई भतीजा न जान पायेगा,
कहां पडेगा अब अगला पड़ाव चाचा का.
रविवार, 27 जून 2010
रविवार, 6 जून 2010
चाचा को समर्पित एक और रचना
भतीजों के दिलों में है बड़ा सम्मान चाचा का
नहीं ले पाएगा कोई कभी स्थान चाचा का
न अब तक भूल पाए हम वो इक एहसान चाचा का
बहुत पहले कभी खाया था हम ने पान चाचा का
इन्हें महदूद मत करिए, चचा तो विश्वव्यापी हैं
न हिंदुस्तान चाचा का, न पाकिस्तान चाचा का
कोई दो चार सौ दे दे तो दीगर बात है वरना
नहीं बिकता है दस या बीस में ईमान चाचा का
यही दो-तीन फोटो और यही छह-सात लव लेटर
पुलिस वालों को बस इतना मिला सामान चाचा का
वो अपनी जेब में अरमानों की इक लिस्ट रखते हैं
नहीं निकला है अब तक एक भी अरमान चाचा का
चचा ग़ालिब भी माथा ठोंक लेंगे अपना जन्नत में
अगर पढ़ने को मिल जाए उन्हें दीवान चाचा का
नहीं ले पाएगा कोई कभी स्थान चाचा का
न अब तक भूल पाए हम वो इक एहसान चाचा का
बहुत पहले कभी खाया था हम ने पान चाचा का
इन्हें महदूद मत करिए, चचा तो विश्वव्यापी हैं
न हिंदुस्तान चाचा का, न पाकिस्तान चाचा का
कोई दो चार सौ दे दे तो दीगर बात है वरना
नहीं बिकता है दस या बीस में ईमान चाचा का
यही दो-तीन फोटो और यही छह-सात लव लेटर
पुलिस वालों को बस इतना मिला सामान चाचा का
वो अपनी जेब में अरमानों की इक लिस्ट रखते हैं
नहीं निकला है अब तक एक भी अरमान चाचा का
चचा ग़ालिब भी माथा ठोंक लेंगे अपना जन्नत में
अगर पढ़ने को मिल जाए उन्हें दीवान चाचा का
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