खरोंच को भी बतलाते हैं घाव चाचा का,
बढ़ा दिया है भतीजों ने भाव चाचा का .
दिखाई देता नहीं उम्र का असर उन पर,
है मेन्टेन अभी रखरखाव चाचा का.
चचा तराजू नहीं डोलची के बैंगन हैं,
न जाने होगा किधर, कब झुकाव चाचा का.
भतीजों को तो चचा जेब में धरे हैं मगर,
चची पे पड़ता नहीं है प्रभाव चाचा का.
ये राज़ कोई भतीजा न जान पायेगा,
कहां पडेगा अब अगला पड़ाव चाचा का.
शनि राहु युति के परिणाम
2 दिन पहले
8 टिप्पणियां:
खरोंच को भी बतलाते हैं घाव चाचा का,
बढ़ा दिया है भतीजों ने भाव चाचा का .
वाह खूब चाचा बखान किया है आपने!!
लेकिन गजल बहुत शानदार है, गजल ने भी बढा दिया भाव चाचा का!!!
ये रचना तो आपने पहले भी कहीं पोस्ट की है बहुत अच्छी लगी बधाइ
सुन्दर हजल जय हो.......मन
गदगद हो गया। चाचा की अच्छी
चंपी हो गई।
सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
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उपहार में....एक शेर पेश है
"चूसते रहते अंगूठे को हमेश अब भी,
बदला दरअसल नहीं अब भी स्वभाव चाचा का।"
चतुर चितचोर चाचा ने चलते चलते चांदनी चुरा कर चटक चूनर चिपटाए चहचहाती चटोरी चाची को चांदी के चम्मच से चांदनी चौक में चाट चट करके चार चम्मच चटनी चटा कर चासनी चूसली
चा चा चा
चाचा ज़िंदाबाद
वन टू चा चा चा
क्यों भई चाचा …
चाचा पर आपकी लगातार मेहरबानियां …?
कितनों को ही चाचा बनने का शौक हो सकता है !
शस्वरं पर विजिट का आमंत्रण है ।
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
bahut khoob rachna hai...
sir,
mere blog par sujhav dene ka sukriya... mene apni poem check ki mujhe usme kisi prakaar ka chhand dosh ya shilp mai galti nazar nahi aa rahi.. agar aap bata saken ki kis pankti mai dosh hai to badi maharbaani hogi.
अच्छी कविता....
वाह रे चचा....
आप का धन्यवाद, आप ने सुंदर विचार 'शब्दों का उजाला' के बारे में रखे॥
मैने एक और बलॉग बनाया है....
'हिन्दी हाइकु'
कभी पढ़ना ....
http://hindihaiku.wordpress.com
हरदीप
वाह चचा, आह चचा!
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