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इसधूप की नई रंगत नेमजबूर कर दिया है अब सोचने पर किफिजां बदलने लगी है अब बदलना चाहिए हमें अपना भी तौर-तरीकाखान-पानरहन-सहनआदतें औररवायतें भी वक्त ;आ गया है।आज अपने भाई के जन्म दिन पर उसे प्यार के साथ क्योंकि मैं उससे बहुत दूर हूँ.
हो गया है मुझ से हर इक जाना-पहचाना अलग देखकर हालत मेरी तुम भी न हो जाना अलग। शम्मा से रह नहीं सकता है जब परवाना अलगकैसे रह सकता है तुझसे तेरा दीवाना अलग ।इस कदर वीरानगी है मयकदे में इन दिनों जाम से मीना अलग है खुम से पैमाना अलग।आप इन महलों को लेकर जायेंगे आख़िर कहाँहम बना लेंगे चमन में अपना काशाना अलग।यूं तो वाबस्ता हैं दोनों जिंदगानी से मगर उनका अफ़साना अलग है मेरा अफ़साना अलग। मैं पीया करता हूँ अक्सर चश्मे-साकी से शराब और रिन्दों से है मेरा जौके रिन्दाना अलग । एक रब्ते ख़ास है पीरे-मुगा से ऐ मयंक हम बना सकते हैं वरना अपना मयखाना अलग।