रविवार, 27 जून 2010

आह चाचा! वाह चाचा!

खरोंच को भी बतलाते हैं घाव चाचा का,
बढ़ा दिया है भतीजों ने भाव चाचा का .

दिखाई देता नहीं उम्र का असर उन पर,
है मेन्टेन अभी रखरखाव चाचा का.

चचा तराजू नहीं डोलची के बैंगन हैं,
न जाने होगा किधर, कब झुकाव चाचा का. 

भतीजों को तो चचा जेब में धरे हैं मगर,
चची  पे पड़ता नहीं है प्रभाव चाचा का.

ये राज़ कोई भतीजा न जान पायेगा,
कहां पडेगा अब अगला पड़ाव चाचा का. 
   
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