हम भी जीने का कुछ मजा लेते
दो घड़ी काश मुस्कुरा लेते
अपना होता बहुत बुलंद इकबाल
हम गरीबों की जो दुआ लेते
जौके-रिंदी को हौसला देता
जाम बढ़कर अगर उठा लेते
रास आता चमन का जो माहौल
आशियाँ फिर कहीं बना लेते
सबके होंटों पे बददुआए थीं
किससे फिर जा के हम दुआ लेते
कुलफतें सारी दूर हो जाती
पास अपने जो तुम बुला लेते
गम जो उनका 'नवाब' गर मिलता
अपने सीने से हम लगा लेते
'नवाब' शाहाबादी
१२६ ए , एच ब्लाक, साउथ सिटी,
लखनऊ . Mb. 9831221614