वक्त की धूप में झुलसे हैं बहुत
उतरे उतरे से जो चेहरे हैं बहुत
खौफ ने पाँव पसारे हैं बहुत
सहमे सहमे हुए बच्चे हैं बहुत
इतनी मस्मूम है गुलशन की फजा
सांस लेने में भी खतरे हैं बहुत
बेशकीमती हैं ये किरदार के फूल
जिन्दगी भर जो महकते हैं बहुत
लुत्फ़ जीने में नहीं है कोई
लोग जीने को तो जीते हैं बहुत
मुत्तहिद हो गये पत्थर सारे
और आईने अकेले हैं बहुत
जो बुजुर्गों ने किये हैं रोशन
उन चरागों में उजाले हैं बहुत
सब्र के घूँट बहुत तल्ख़ सही
फल मगर सब्र के मीठे हैं बहुत
सीख लो फूलों से जीना मंजर
रह के काँटों में भी हँसते हैं बहुत
शनि राहु युति के परिणाम
2 दिन पहले