फिल्मी धुन पर भजन सोचिए
कैसे लागे लगन सोचिए
गंगाजल है प्रदूषित बहुत
कैसे हो आचमन सोचिए
काँटों की तो है फितरत मगर
फूल से भी चुभन सोचिए
पाँव उठते नहीं बोझ से
आप मेरी थकन सोचिए
और जितने थे सब बच गए
बस जली है दुल्हन सोचिए
२६८/४६/६६-डी, खजुहा,
तकिया चाँद अली शाह,
लखनऊ-२२६००४
फोन- 09415928198
मंगलवार, 20 अप्रैल 2010
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