शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

कुण्डलियाँ : अरविन्द कुमार झा

१-
                       मना लो तुम भी होली
होली में बढ़ती सदा इन चीजों की मांग
कपडे खोया साथ में दारू, गांजा, भांग
दारू, गांजा,भांग,छान मस्ती में सब जन
दीखते नहीं सटीक, सज्जनों के भी लच्छन
खूब मनाते मौज जहां बन जाती टोली
करके नया जुगाड़ ,मनालो तुम भी होली..

२-
कहो इनको टामी जी

टामी जी को हम रहे,इसीलिए दुत्कार
पुरुषों से ज्यादा इन्हें महिला करतीं प्यार
महिला करतीं प्यार, गोद में इन्हें खिलातीं
नित्य क्रिया के हेतु, सड़क पर हैं टहलाती
मामा कुढ़ते खूब, दुलारें जब मामी जी
कुता मत कह यार, कहो इनको टामी जी..

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