शनिवार, 14 मार्च 2009

ग़ज़ल ;एहसास मगहरी , गोरखपुर [उ. प्र]

मेरे दिल में अब वो समाने लगे है

मोहब्बत की दुनिया बसाने लगे हैं।

वो जब सामने मुस्कुराने लगे हैं

मेरे दिल पे बिजली गिराने लगे हैं।

ख्यालों में हरदम वो आने लगे हैं

मेरे दिल की दुनिया सजाने लगे हैं।

करीब उनके पहुंचे मोहब्बत में लेकिन

सफर में वहां तक जमाने लगे हैं।

हैं बेदर्द कितने जमाने के इन्सां

जो शमऐ मोहब्बत बुझाने लगे हैं।

मोहब्बत हुई है मुझे जब से उनसे

मुझे हर घडी वो सताने लगे हैं ।

मोहब्बत की तकमील काम आ गई है

की वो ख्वाब में आने जाने लगे हैं।

मिले हैं कभी जब सरे राह में वो

निगाहें वो मुझसे चुराने लगे हैं।

रकीबों में होती है एहसास चर्चा

ग़ज़ल तेरी दुश्मन भी गाने लगे हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

Blog Widget by LinkWithin