ऐसे पल का करो कयास
जिसमें न हो कोई भी दास
इश्को - मुहब्बत प्यार वफा
कब मुफलिस को आते रास
आओ मुझसे ले लो सीख
कहता है सबसे इतिहास
जिससे देश की हो पहचान
पहनेंगे हम वही लिबास
भीड़ को देख के लगता है
महलों से बेहतर वनवास
खारे जल का दरिया हूँ
कौन बुझाए मेरी प्यास
छत पर देख के उनको 'मयंक'
चाँद का होता है आभास ।
गुरुवार, 28 मई 2009
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