शुक्रवार, 26 जून 2009

कविता ; सर्वत जमाल , गोरखपुर उ.प्र.

प्रेम, प्यार ,अनुराग ,मुहब्बत

यह भावनाएं मुझमें भी हैं

आख़िर हूँ तो मैं भी

इंसान ही ।

किसी की नशीली आँखें

सुलगते होंठ

खुले-अधखुले , सुसज्जित केश

मुझे भी प्रभावित करते हैं

शायद तुम्हे विश्वास नहीं

क्योंकि मेरी रचनाओं में

तुम्हें इसकी परछाई तक

दिखाई नहीं पड़ती।

यह भी मेरे

प्रेम , अनुराग

प्यार , मुहब्बत का

प्रमाण है

जो मुझे है

प्रकृति से ,

धरती से ,

विधाता की हर रचना से।

मैं नफरत करता हूँ

शोषण से ,

अत्याचार से ,

दिखावे से,

झूट को सच

और सच को

झूट कहने से ।

यही कारण है

मेरी रचनाएं

इनके विरोध में खड़ी हैं ।

जब कभी

इस अघोषित युद्ध में

जीत ,

मेरी कविताओं की

मेरे विचारों की होगी

और हार जायेंगे

शोषण , अत्याचार , कदाचार

एवं

धरती पर नफरत उगाने वाले

और उनके सहायक तत्व

तब इस धरती पर

सिर्फ़ प्रेम होगा

कोई बच्चा ,

नहीं शिकार होगा

कुपोषण और

बालश्रम के

दानव का ।

कोई महिला

देह्शोषित

नहीं होगी ।

कोई पुरूष

अपने ही

परिजनों की नजरों में

शर्मिन्दा नहीं होगा

तब

मेरी रचनाएं

फ़िर

समय का दर्पण बनेंगी

और एक

नया फलक बनाएंगी ,

इस धरती के लिए ।

मुझे विश्वास है

तब मैं अकेला नहीं रहूँगा

अजूबा नहीं रहूँगा

और ऐसा नहीं रहूँगा ।

परन्तु क्या

मेरे जीते जी

ऐसा होगा ?

13 टिप्‍पणियां:

ओम आर्य ने कहा…

bahut hi badhiya rachana.....................bahut sundar

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

jaroor hoga
yah sach hoga hi aap ne jitana vishwas jataya hai sab kuch hoga??

bahut hi achchi kavita ..aap ne sab kuch kah diya chand shabdon me
bahut bahut dhanywaad

aarya ने कहा…

अलका जी आपकी रचना से एक ऐसे आन्दोलन का रास्ता दिखाई देता है की जिसे आज की नौजवान पीढी अपना ले तो आप ही क्या ये पूरा भारत जीत सकता है.
इस भविष्यरूपी रचना के लिए आभार.
रत्नेश त्रिपाठी, गोरखपुर

Hari Shanker Rarhi ने कहा…

Alkaji'
congratulations for such an optimistic and lovely view towards love and nature.
please also visit your email.
hari shanker rarhi.

निर्मला कपिला ने कहा…

विश्वास रखें ये जरूर होगा बहुत सुन्दर और सार्थक कविता है बधाई

संजीव गौतम ने कहा…

हमेशा की तरह बेहतरीन. दिल को छूलेने वाली. बहुत दिन से नई रचना नहीं लगायी क्या बात है?

daanish ने कहा…

"...tb meri rachnaaeiN phir samay ka darpan baneNgi..aur ik naya falak banaaeiNgi..."

steek , saarthak , suniyojit rachnaa.... bhaav padhne waloN tk pahuNchte haiN...
badhaaee svikaareiN .

Manzar Sahab ki gzl bahut pasand aaee...unheiN bhi mubarakbaad.

---MUFLIS---

Prabhakar Pandey ने कहा…

सादर नमस्कार। आपको पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा....आपका दूसरा ब्लाग.....औषधि संबंधी भी देखा......वहाँ बहुत ही अनिवार्य और महत्तवपूर्ण जानकारियाँ हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद....सादर....

प्रयास ने कहा…

अलका जी, सार्थक कविता है,दिल को छू लेने वाली |
बधाई|....
अमितेश्वर (www.bhartiyahindi.blogspot.com)

नीरज गोस्वामी ने कहा…

अद्भुत रचना...आप बहुत अच्छा लिखती हैं...आप का लेखन बहुत प्रभावशाली है...आज आप के ब्लॉग पर आना बहुत सुखद अनुभव दे गया...
नीरज

बेनामी ने कहा…

[url=http://buygenericonlineviagrashop.com/#20510]cheap viagra[/url] - buy cheap viagra , http://buygenericonlineviagrashop.com/#11074 cheap viagra

बेनामी ने कहा…

[url=http://viagraboutiqueone.com/#mnrbo]buy viagra[/url] - viagra online , http://viagraboutiqueone.com/#esxso generic viagra

बेनामी ने कहा…

[url=http://buyonlineaccutanenow.com/#vqkxy]accutane cost[/url] - accutane 10 mg , http://buyonlineaccutanenow.com/#xiqic accutane cost

Blog Widget by LinkWithin