शनिवार, 14 मार्च 2009

गीत ;सर्वत जमाल , बस्ती ,[उ. प्र ]

सफेद बालों पर
उदास गालों पर
चमक दमक जागी।
दिशा अंधेरे की
लगन सवेरे की
सफर खुलेपन का
बयार घेरे थी
महानता कैसी
उठापटक जागी।
सफ़ेद ----------॥
विचार की बातें
बहार की बातें
गली -गली चर्चा
सुधार की बातें
जिधर किरन फूटी
नई सनक जागी ।
सफ़ेद -----------॥
अजीब ठहरे दिन
अवाक् बहरे दिन
जनक दुलारी के
गए सुनहरे दिन
नयन -नयन सपने
पलक पलक जागी ।
सफ़ेद ------------॥

9 टिप्‍पणियां:

विजय गौड़ ने कहा…

bahut bahut shubhkamnain.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना.........आभार

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

श्यामल सुमन ने कहा…

प्रवाहयुक्त रचना अच्छी लगी।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

के सी ने कहा…

कविता अच्छी है बधाई !

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

ati manbhavan. narayan narayan

Unknown ने कहा…

sundar chitte or sundar abhivayakti ke liye badhaee.....mere blog par bhi padharen..
jai Ho magalmay Ho...

jeet ने कहा…

blog jagat me aapka swagat he aapko der sari subhkamnaye

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

बहुत अच्छी रचना है । भाव और विचारों का बेहतर समन्वय है । इससे अभिव्यक्ति प्रखर हो गई है ।

समय हो तो मेरे ब्लाग पर प्रकाशित रचना-आत्मविश्वास के सहारे जीतें जिंदगी की जंग-पढ़े और अपना कमेंट भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

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