शुक्रवार, 17 अप्रैल 2009

ग़ज़ल -एहसास मगहरी ,मगहर [उ.प्र.]

जो बात तुममें  थी  वो  बात  कहाँ  है
 पहले की तरह रस्मे मुलाकात कहाँ है.
          मायूसियों ने लूट लिया प्यार का वजूद
          अब मेरे मुकद्दर में   तेरी जात  कहाँ है.
भूले   से   तेरी याद मुझे  आती नहीं  है
वो प्यार,वो उल्फत,वही ज़ज्बात कहाँ है.
          जब हुस्न ही है इश्क  के आदाब से खमोश
         उल्फत में बता इश्क की अब मात कहाँ है.
एहसास तो मोमिन है मगर मुझको बता आज
तूफ़ान       बदामा    वो   तेरी   जात   कहाँ  है.

7 टिप्‍पणियां:

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

अलका जी,
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।परन्तु कहीं कहीं पर सम्पादन या टाइप मे त्रुटि है जैसे खामोश की जगह खमोश लिखा है।सुधार लें।

kabad khana ने कहा…

aachi gazals likhte hai aap

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत उम्दा गज़ल है।बधाई।

renu ने कहा…

जो बात तुममे थी वो बात अब कहाँ है
पहले की तरह रस्मे मुलाकात कहाँ है

अति सुंदर

Dileepraaj Nagpal ने कहा…

khoobsoorat khyaal

बेनामी ने कहा…

पहले की तरह तुझमे वोह बात कहा है - क्या खूब कही है |

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

अलका जी
अति सुन्दर अभिव्यक्ति है.
मुझे बहुत अच्छी लगी.
- विजय

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