शनिवार, 11 अप्रैल 2009

ग़ज़ल:के० के० सिंह मयंक अकबराबादी [उ.प्र.]

गीत बिना सूना है साज
बोलो क्या है इसका राज।
दुनिया तक क्यों पहुंची बात
जब तू था मेरा हमराज।
जिसका हो अंजाम बुरा
कौन करे उसका आगाज़।
हर मोमिन का फ़र्ज़ यही है
पाँच वक्त की पढ़े नमाज़।
इश्क ने चलकर राहे वफा में
हुस्न को बख्शा है एजाज़।
उनकी बज्म में लेकर पहुँची
मुझको तखैयुल की परवाज़।
अपनी ग़ज़ल में लाओ मयंक
मीरो-गालिब के अंदाज़।

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