आप कहते हैं दूषित है वातावरण
पहले देखें स्वयं अपना अंतःकरण
कितना संदिग्ध है आपका आचरण
रात इसकी शरण , प्रात उसकी शरण
आप सोते हैं सत्ता की मदिरा पिये
चाहते हैं कि होता रहे जागरण
फूल भी हैं यहाँ , शूल भी हैं यहाँ
देखना है कहाँ पर धरोगे चरण
आप सूरज को मुट्ठी में दाबे हुये
कर रहे हैं उजालों का पंजीकरण
शब्द हमको मिले ,अर्थ वो ले गये
न इधर व्याकरण, न उधर व्याकरण
लीक पर हम भी चलते मगर कम्बरी
कौन है ऐसा जिसका करें अनुसरण
शनि राहु युति के परिणाम
1 हफ़्ते पहले
2 टिप्पणियां:
achchhi lagi aapki ghazal
mukhtalif kafiya ...shandar
कितना संदिग्ध है आपका आचरण
रात इसकी शरण , प्रात उसकी शरण
आप सोते हैं सत्ता की मदिरा पिये
चाहते हैं कि होता रहे जागरण
सुन्दर गजल
वीनस केसरी
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